Thursday, 19 March 2009

......

इस पार से तेरी सच्चाई कुछ और नज़र आती है 

कुछ बातों में तेरी एक कसर नज़र आती है

उस ओर से तू देखता है मुझको तो ये बता...

क्या मुझमे भी तू देखता है इतनी ही खता?


(to myself...when I was a child)

1 comment:

unknown said...

yeh kewal teri nazar ki baat hai
agar din hai tera toh meri raat hai
soch tu, sooraj bhi ek hai taara
khata kisi ki nahi, tu dekh dobara

:)
nidhi